यूनानी उपचार का गठिया रोग में असर

यूनानी गठिया के लिए

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    हड्डियों के जोड़ों में फ्दर्द के लिए यूनानी चिकित्सा पद्धति को दुनिया की सबसे बेहतरीन विधा माना जाता है. गठिया बाई या अर्थराइटिस पर किये गए कई शोधों में यह बात सामने आई है कि इस पद्धति से इलाज़ के बाद रोग हमेशा के लिए अलविदा कह देता है बशर्ते यूनानी विधा को चिकित्सा के अनुरूप इस्तेमाल किया जाए. आज के बदलते दौर में अर्थराइटिस एक बहुत बड़ी समस्या बनकर दुनिया के सामने आ रही है. इससे बूढ़े तो परेशान होते ही हैं अब युवा पीढ़ी भी इसके चपेट में है.

    आज हम इस लेख के माध्यम से यूनानी विधा से गठिया बाई के इलाज की बात करेंगे और आपको बताएंगे कि किस तरह से यह विधा इस समस्या में काम करती है. कमोवेश यह रोग अचानक ना होकर इंसानी रूह में धीरे-धीरे विस्तृत होता है जिसके चलते जोड़ों की गाँठ में सूजन और दर्द हो जाता है

    यूनानी के फायदे

    आमतौर पर यूनानी दवाओं का फायदे के सिवा नुकसान नही देखा गया है. यह दवाइयां प्राचीन हर्बल नुस्खों द्वारा निर्मित की जाती हैं. मसलन आयुर्वेद और यूनानी दवाओं को सगी बहन के रूप में वर्णित किया गया है. प्राचीन काल से ही इस विधा से कई मर्ज़ का इलाज़ सफलता पूर्वक ढूँढा गया है जिसमें एक मर्ज गठिया का नाम भी शामिल है.

    मेथी के बीज

    मेथी दाना

    मेंथी के बीज में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और खनिज तत्व पाए जाते हैं. इनके बीजों को पानी में भिगोकर छिलका उतारकर सेवन में लाया जाता है. भिगोये गए मेथीदाना की एक चम्मच मात्रा सेवन करने से गठिया रोग से निजात मिलती है.

    कम्पिंग थेरेपी

    कम्पिंग थेरेपी

    कपिंग एक ऐसी यूनानी विधा है जिसमें प्लास्टिक के कप नुमा आकार को शरीर के खास हिस्से पर रखकर प्राकृतिक रूप से सक्शन का काम लिया जाता है. इस पद्धति में किसी भी दवा का प्रयोग नही किया जाता है. सूई के माध्यम से शरीर में एक हल्का सा महीन छेद किया जाता है. उसके ऊपर कप रखकर खराब खून को बाहर निकाल लिया जाता है. इस प्रक्रिया से गठिया में मौजूद क्रिस्टल बाहर निकल जाते हैं और रोगी को आराम मिल जाता है. यह विधा रोगियों की वर्तमान स्थिति पर निर्भर करती है.

    होम्योपैथिक चिकित्सा के नुकसान

    होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति उपचार की ऐसी विधा होती है जिसका असर रोगियों पर धीमी गति से होता है. इस विधा में तात्कालिक उपचार मौजूद नही होता. यदि रोगी को किसी भी वजह से अचानक दर्द बढ़ जाए तो होम्योपैथ की दवाइयां दर्द कम करने मन सक्षम नही होती. इसके अलावा दर्द के दौरान यदि मरीज ने इस तरह की कोई दवा खा रखी होती है तब तात्कालिक राहत वाली एलोपैथिक दवाओं का सेवन शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है. मसलन इस दवा के फौरी राहत लेते समय रिस्क बढ़ जाता है. गठिया बाई के मरीजों को कैल्शियम की दवाओं की सख्त जरूरत होती है. किसी भी होम्योपैथ दवा में न्यूट्रीशन मौजूद नही होता जो हड्डियों को पोषण प्रदान कर पाए. यदि हड्डियों के जोड़ों में कैल्शियम या फिर विटामिन स की वजह से दर्द हो रहा होता हो तो इस तरह की दवाइयां असर नही करती.

    डॉ करुणा

    • 10 Years of Experience
    • (BAMS)

    डॉ करुणा आयुर्वेद विधा में स्नातक हैं. आयुर्वेद से उपचार के लिए इन्हें कई मैडल भी मिल चुके हैं. इनके इलाज से गर्दन दर्द के हज़ारों मरीज स्वास्थ्य लाभ उठा चुके हैं. इन्हें इस विधा में 9 साल का अनुभव है. डॉ. करुणा कहती हैं कि आयुर्वेद उपचार प्राचीन काल

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