पैर दर्द के कारण।
पैरों का दर्द एक ऐसी स्थिति है जिसे कई भागों और रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है। यह अलग-अलग रूपों में अलग अलग तरह से सामने आ सकती है। इस तरह की समस्याओं में पैरों की नसों में दर्द हो सकता है। नस में दर्द होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। मसलन नर्म ऊतकों की क्षति या फिर जोड़ों से फ्लूड के सूखने की वजह से भी यह समस्या देखी जा सकती है। इसके अलावा नसों का दर्द आयरन और कैल्शियम की मात्रा की कमी या कुपोषण की वजह से भी देखी जाती है। हालांकि यह सामान्य तरीके से होने वाली समस्याओं में से एक है यह किसी को कभी भी किसी भी उम्र वर्ग में देखी जा सकती है। एक खिलाड़ी के एड़ी या घुटने में दर्द के पीछे खिंचाव या चोट हो सकती है। सामान्य खिंचाव दर्द 5व देता है लेकिन जल्द ठीक भी हो जाता है। ज्यादा चोट की स्थिति अक्सर खतरनाक साबित हो जाती है। इस दशा में कई बार लिगामेंट में सूजन सहित हड्डियों के चटकने से दर्द अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाता है। इस तरह से पैरों के तलवे मे दर्द देखा जा सकता है। कई बार कूल्हों में उठने वाले दर्द गठियारोग या अर्थराइटिस का भी कारण बन सकता है। इसके पीछे कई वजहें होती हैं जो सामान्य खानपान से लेकर मधुमेह और मोटापे ई वजह से भी देखी जा सकती हैं। इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ होने वाले पैर दर्द से भी लोग खासे परेशान होते हैं।
पैर दर्द होने से पहले ऐसे कर सकते हैं बचाव।
जीवन मे हड्डियों का इतना महत्व है जितना शरीर से आत्मा का होता है। हमारे शरीर का ढांचा ही हड्डियों से निर्मित होता है। हड्डियों खासकर पैर में दर्द से बचकर इंसान अपना जीवन सुखद बना सकता है।
• योग के कुछ तरीकों को नियमित रूप से सुबह खाली पेट सूर्योदय के वक्त करके काफी हद तक तकलीफों से बचाव हो सकता है। सुबह सूर्य की किरणों में भारी मात्रा में विटामिन डी प्राप्त हो जाता है।
• खानपान में संतुलित आहार प्रणाली को व्यवस्थित करके पैर की नसों में दर्द से बचाव किया जा सकता है।
• मानसिक संतुलन बनाकर रखने या फिर सकारात्मक सोच से इंसान इन तकलीफों से बच सकते हैं।
• गर्मी के मौसम में नींबू पानी के लगातार सेवन से शरीर की अवशिष्ट पदार्थो को बाहर निकलकर इस तरह की मर्ज से बचाव किया जा सकता है।
• मोटापा को संतुलित करके पैर के दर्द से बच सकते हैं।
• नियमित नींद व्यक्ति की हड्डियों को स्वस्थ बनाती है।
• जीवनशैली में नियमित रूप से निरंतरता लाना आवश्यक होता है।
पैर दर्द हो जाने पर बचाव।
पैर की हड्डियों में दर्द हो जाने पर कई तरीकों से उपचार अपनाकर स्वास्थ्य लाभ पाया जा सकता है।
आयुर्वेदिक दवाओं से पैर दर्द का उपचार।
कई बार चोट लगने या मोच की दशा में पैरों में सूजन आ सकती है। इस स्थिति में आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज काफी सरल और साइड इफेक्ट से रहित होता है। आयुर्वेद देश का ऐसा माध्यम है जो सदियों से अमल में लास्य जाता रहा है। दर्द दूर करने के लिए जड़ी बूटियों से बनाई दवा मरीज के दर्द में राहत पहुंचाती है। आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन की सलाह मरीज के मौके की स्थिति को देखकर दिया जाता है। मरीज को गठिया रोग की दवा अलग और सामान्य दर्द की दवा अलग रुप में दी जाती है। कुछ साधारण परहेज के साथ ही एक निश्चित सीमा अवधि में उपचार के द्वारा काफी हद तक पैर दर्द से मुक्ति पाई जा सकती है।
होम्योपैथी दवाओं से पैर दर्द का उपचार।
जर्मन तकनीक की दवा का प्रयोग पैरों के दर्द के लिए काफी सालों से किया जाता है। इन दवाओं को खाने या पीने की सलाह रोगी के मौजूदा स्थिति के लिहाज से दी जाती है। कई बार चिकित्सक मरीज के रोग को प्रकट करने वाले लक्षणों को उत्पन करने के साथ ही मर्ज को जड़ से मिटाने की कोशिश करते हैं। एक स्वास्थ्य सर्वेक्षण की बात माने तो पता चलता है कि देश के कई कोनों में हजारों मरीज हर साल गठिया जैसे रोगों से इस इलाज से ठीक हो जाते हैं। हालांकि इन दवाओं का किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नजर नही आता लेकिन ज्यादा दर्द के दौरानं इन दवाओं का सेवन किसी भी काम का नही होता है। इसके साथ ही होम्योपैथी विधा की उपचार पद्धतियों की कुछ जटिलतायें भी होती हैं। उपचार के दौरान जरुरत पड़ने पर तुरंत राहत देने वाली दवाओं का सेवन करने से भी कई समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा कई परहेज ऐसे होते हैं जिनका यदि अनुपालन ना किया जाए तो ऐसी दवाओं का असर शरीर पर ना के बराबर होता है।
यूनानी दवाओं से पैर दर्द का उपचार।
पैर दर्द को जड़ से समाप्त करने में यूनानी दवाओं का बड़ा हाथ होता है। कई तरह के हर्बल उत्पादों से तैयार सुरंजन और माजून की मदद से मरीज को उपचारित किया जाता है। सबसे बड़ी बात इस विधा में यह है कि इसका किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट नही होता। हर्बल उपचार में दवाओँ का असर पैर दर्द में तो होता ही है वह भी एक निश्चित अवधि में। कई बार पैरो से संबंधित समस्याओं का उपचार जड़ से किये जाने की बात भी सामने आती है। वास्तव में यूनानी हड्डी से जुड़े रोगों के लिए एक बेहतर विकल्प है लेकिन इसकी कुछ जटिलतायें भी होती हैं। यूनानी दवाएं तुरंत राहत नही पहुंचाती साथ ही बिना परहेज के इन दवाओं का शरीर पर ज्यादा असर होते नही देखा गया है।
एलोपैथी दवाओं से पैर दर्द का उपचार।
एलोपैथी दवा पैर की नसों में दर्द के लिए एक उत्तम विकल्प है। एलोपैथी या आधुनिक उपचार दुनिया का इकलौता ऐसा माध्यम है जिसका मेडिकल बाजार में करीब 90 फीसदी भागीदारी है। यह ऐसा माध्यम है जो दुनियाभर में सर्वमान्य है ही साथ ही दर्द में फौरी राहत देने वाली एकलौती उपचार पद्धति है। इस चिकित्सा व्यवस्था में साधारण चोट के लिए सामान्य पेनकिलर के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है वह भी किसी बजी रूप में हो सकती है मसलन टेबलेट, क्रीम जेल स्प्रे इत्यादि। इस तरह से दर्द ना मिटने पर कुछ अन्य दवाओं के भी सेवन की सलाह दी जाती है जिसमें इंजेक्शन से लेक्क़र कैप्सूल और कई बार शल्य विधि Sके उपचार किया जाता है। सबसे पहले इयोग को डाइग्नोज किया जाता है। इसमें रक्त परीक्षण से लेकर एक्सरे भी शामिल है। इसके साथ ही उपचार की विधा में सटीक तरीके से लगातार दवाओं के सेवन द्वारा लंबे समय तक आराम की जिंदगी जी जा सकती है। इन दवाओं का जितनी तेजी के साथ शरीर पर असर होता है कमोवेश इसके नुकसान भी कुछ इसी तरह तेजी से शरीर मवन दिखाई देते हैं। कई तरह की एलर्जी और ओवरडोज जहां शरीर को भारी क्षति पहुंचाने का काम करता है तो वहीं दूसरी तरफ इसके साइड इफेक्ट बेहद खतरनाक बि साबित हो सकते हैं। इसलिए इस उपचार की दवाओं का सेवन करने से पहले चिकित्सकीय सलाह जरूर लें।
पैर दर्द के उपचार से संबंधित जरूरी सलाह/ सुझाव।
पैर जहां जिंदगी की सबसे बड़ी बैशाखी होते हैं तो दूसरी तरफ समाज में आदर्श जिंदगी जीने के लिए पैरों का स्वस्थ होना बेहद जरूरी होता है। पैरों को उपचार के बाद ठीक तो किया जा सकता है लेकिन कुछ जरूरी सुझाव और सलाह इंसानी जीवन में चार चांद लगा सकता है।
• अल्कोहल सहित धूम्रपान करने वाले लोगों को फौरन इसका त्याग कर देना चाहिए। जो लोग इसका सेवन ना करते हों उन्हें इसका सेवन नही करना चाहिए।
• कुछ परिस्थितियों में मांसाहारी भोजन नही करना चाहिए।
• भोजन मे पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और आयरन की मात्रा रखें।
• हरी साग सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
• दूध सहित दही और छाछ का भी सेवन करें।
• ठंडा पानी से परहेज करें। कोशिश करें कि हर समय या मौसम में गुनगुना या नार्मल पानी पिएं।
• दिमाग को हमेशा सकारात्मक बनाये रखें।
• ज्यादा दर्द होने पर चिकित्सकीय सलाह से उपचार करें।