आयुर्वेद के कुछ नायाब तरीकों से पाया जा सकता है पीठ दर्द से राहत

पीठ दर्द

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    पीठ का दर्द आयुर्वेदिक दवा हड्डियों के तमाम दर्द का इलाज करने में बेहद कारगर साबित होती है। आमतौर पर पीठ की समस्या बेहद सामान्य होती है लेकिन अक्सर उपचार के अभाव या दर्द की अनदेखी रोग की बड़ी वजह बन जाती है। आम तौर पर होने वाले दर्द मसलन एक जगह ज्यादा देर तक बैठ कर काम करने या फिर खड़े होकर घंटों तक दिनचर्या निपटने के दौरान देखी जाती है। पीठ हमारे शरीर जा ऐसा हिस्सा है जो सीधे तौर पर फेफड़ों से जुड़ा होता है। फेफड़ों के अलावा हृदय से लेकर लिवर और रीढ की हड्डी का सीधा संपर्क पीठ से होता है। कई बार इस तरह की समस्या बड़े रोगों का कारण बन जाती है। हल्का दर्द को इग्नोर करना या फिर बिना चिकित्सक की सलाह के पेन किलर दवाओं का इस्तेमाल मरीज को बड़े संकट में डाल देता है।

    पीठ का दर्द फेफड़ों में संक्रमण का बड़ा संकेत होता है। इस तरह के दर्द ट्यूबरक्लोसिस या फिर रीढ़ की हड्डियों में संक्रमण के चलते पनपते हैं। दुनिया मे उपचार की कई पद्धतियां ईजाद की गई हैं जिनसे हड्डी से जुड़ी परेशानियों का इलाज किया जाता है लेकिन परंपरागत जड़ी बूटियों से बनी आयुर्वेदिक दवाओं के की समस्याओं में क्या लाभ होते हैं इस लेख से इस बात पर प्रकाश डाला जाएगा। इसके अलावा हम आपको इसकी जटिलताओं से भी रूबरू कराएंगे।

    पीठ दर्द से संबंधित जटिलताएं

    एक जगह ज्यादा देर तक बैठकर काम करने की आदत दफ्तरों में काम काजी लोगों का शगल बन चुका है। लोग अपनी दिनचर्या में इस तरह मशगूल हो चुके हैं कि पता ही नही चलता कि जीवनशैली किस तरफ जा रही है। जीवनशैली में लगातार परिवर्तन सहित खान पान के सटीक प्रयोग ना करने से हड्डियां कमजोर होकर घिसने लगती हैं। काफी देर तक एक करवट लेटने से भी हड्डियों पर दबाव पड़ने से प्लेट या लिगामेंट कठोर होने लगता है और उनमें सूजन आने लगती है। इस तरह से चोट या मांसपेशियों में या फिर नर्म ऊतकों की क्षति के साथ ही जोड़ों में मौजूद फ्लूड की कमी होने लगती है।

    खान पान में दोष की वजह से हड्डियों में यूरिक एसिड की अधिकता होने से संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा पीठ का दर्द फेफड़ों के संक्रमण की सबसे बड़ी वजह बनता है। कफ जमने से सीने की हड्डियां संक्रमण का शिकार हो जाती हैं। हल्के दर्द के दौरान गफलत बरतने पर अक्सर ट्यूबरक्लोसिस जैसी बीमारी से पीठ की समस्या काफी बढ़ जाती है। इस तरह की समस्या विकट होती है और इनकी जटिलताओं की वजह से इलाज काफी लंबा चलता है।

    पीठ का दर्द आयुर्वेदिक दवा के लाभ

    पीठ का दर्द आयुर्वेदिक दवा वास्तव में हड्डियों के उपचार में खासा लाभ पहुंचाती है। पीठ की समस्या से ग्रसित मरीज की उम्र और समस्या किस वजह से हुई है इसके आधार पर इलाज की सलाह सी जाती है। यदि किसी सामान्य चोट या मोच की वजह से दर्द हो रहा होता है तो मरीज को दर्द समाप्त करने के लिए जड़ी बूटियों से तैयार कुछ औषधि को लेपन के लिए या खाने के लिए दिया जाता है। इस तरह की दवाएं थोड़े दिन के उपचार के बाद हड्डियों से जुड़ी मांसपेशियों का तनाव कम कर उनमें रक्त संचार बढ़ा देती हैं। रक्त संचार के बढ़ने के साथ कैल्शियम की मात्रा की प्रचुरता की वजह से दर्द समाप्त होने लगता है।

    यदि मरीज को कफ की समस्या से पीठ दर्द का अनुभव हो था हो तब चिकित्सक कुछ ऐसे द्रवों को पीने की सलाह देता है जो शहद, काली मिर्च सहित पीपली जैसे तत्त्वों से निर्मित होती हैं। ऐसे द्रव शरीर मे पहुंचकर वात और कफ जैसे रोगों को खत्म कर पीड़ा से छुटकारा दिलाते हैं। दर्द की वजह यदि कैल्शियम की कमी है तब भी आयुर्वेद में ऐसे नुस्खे हैं जिनकी मदद से कमी को दूर करने वाली दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। यदि मरीज फेफड़ों के संक्रमण या फिर ट्यूबरक्लोसिस जैसी गंभीर स्थिति से परेशान है तब इसके उपचार में एक से दो साल तक नियमित रूप से दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। इस तरह की समस्याएं वैसे तो काफी जटिल होती हैं लेकिन कुछ परहेज के साथ समय से कुशल चिकित्सक की सलाह ओर नियमित ली गई खुराक क्षय जैसे रोगों को भी हराने के माद्दा रखती है। आयुर्वेद एक ऐसी उपचार पद्धति है जिसका साइड इफेक्ट लगभग ना के बराबर होता है। इस तरह के उपचार माध्यमों का सदियों से इस्तेमाल होता आया है वह भी बेहद सफलता पूर्वक। हालांकि इस तरह की दवाएं दर्द में तुरंत राहत तो नही पहुंचाती लेकिन मर्ज को जड़ से समाप्त करने में बेहद सहायक होती हैं।

    आयुर्वेदिक दवा संबंधित जरूरी सुझाव/ सलाह

    इसमें कोई शक नही कि पीठ के दर्द में सदियों पुरानी पारंपरिक उपचार माध्यम की दवाएं बेहद असरदार होती हैं। असर करने के अलावा ऐसी दवाओं का किसी भी तरह का साइड इफेक्ट भी नही देखा जाता। इस तरह की दवाओं का इस्तेमाल बिना चिकित्सकीय सलाह के बिल्कुल भी नही करना चाहिए। आयुर्वेद एक ऐसा माध्यम है जिसके साथ कई बार एलोपैथी दवाओं के सेवन की भी सलाह दी जाती है। हालांकि ऐसी मिश्रित दवाओं का सेवन अपने आप करना शरीर पर भारी पड़ सकता है। परहेज आयुर्वेदिक दवाओं में अमृत का कार्य करता है। यदि मरीज ने मर्ज के दौरान नियमित रूप से परहेज कर लाया तो उसके संपूर्ण तरीके से ठीक या स्वस्थ होने की संभावनाएं बढ़ काफी बढ़ जाती हैं।

    डॉ आकांक्षा

    • 7 Years of Experience
    • (BHMS)
    • Quora

    मै डॉ आकांक्षा होम्योपैथिक चिकित्सा में बैचलर हैं. इन्हें जॉइंट्स पेन (जोड़ों का दर्द) और बैक पेन (पीठ दर्द) जैसे रोगों का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होने अपने उपचार से देश के हजारों मरीजों को नया जीवन दिया है. डॉ आकांक्षा को जॉइन्स पेन( जोड़ों का दर्द) और बैक पेन

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