एलोपैथी दवा के ऐसे प्रयोगों से मिल सकती है पैर दर्द में राहत

पैर दर्द में एलोपैथी

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    दुनिया की इकलौती उपचार विधा जो किसी भी तरह के दर्द में तुरंत आराम पहुँचाती है वह एक मात्र एलोपैथी दवा ही होती है। पैर दर्द की एलोपैथी दवा के बारे में आज चर्चा करने के साथ ही किस तरह से पैरों की जटिलताएं सामने आती है इन पर भी चर्चा करेंगे। पैरों में कूल्हे से लेकर उंगली तक कई जोड़ होते हैं। कूल्हे से लेकर उंगली के इन नन्हे और मुलायम जोड़ों में मौजूद नर्म ऊतकों में क्षति दर्द का कारण बन जाती है। पैरों में वैसे हड्डियों के कई प्लेट मौजूद होते हैं जो कोशिकाओं के द्वारा संचालित होते हैं। हड्डियों के जोड़ों में दर्द को दूर करने के लिए कई तरह की उपचार माध्यमों का सहारा लिया जाता है लेकिन लंबी राहत और समय पर दर्द को दूर करने का माद्दा सिर्फ इन्हीं दवाओं में होता है। पैरों से संबंधित रोगों में गठिया बेहद जटिल समस्या होती है।

    इसके अलावा भी कुछ ऐसे रोग हैं जो इंसान को निजी जिंदगी में बेहद प्रभावित करते हैं। इस लेख से इस बात को जानने की कोशिश की जाएगी कि किस तरह से दर्द के उपचार में एलोपैथिक दवाएं असर डालती हैं और पैरों से संबंधित प्रमुख जटिलताएं क्या होती हैं और वे किस तरह मानव जीवन को प्रभावित करती हैं।

    पैर दर्द से सम्बन्धित प्रमुख जटिलताएं

    पैर के दर्द से संबंधित कई जटिलताएं ऐसी होती हैं जो अक्सर बेहद गुपचुप तरीके से रोग के रूप में शरीर मे प्रवेश करती हैं। इनमें गठिया सहित अर्थराइटिस के कई स्वरूप शामिल हैं। ये ऐसे रोग होते हैं जो शरीर मे तेजी से ना पनपकर धीमी गति से पनपते हैं। गठिया रोग में घुटनों की गाठों में निकिल जैसे छोटे-छोटे पदार्थ जमने शुरू हो जाते हैं जो उन्मन मौजूद फ्लूड और ऊतकों को बड़ी तेजी से नष्ट कर डालते हैं।

    शुरू में इंसान इस तरह के पैर दर्द को बेहद ही सामान्य समझता है लेकिन उसकी यही भूल उस पर बाद में भारी पड़ जाती है। गठिया का स्वरूप खतरनाक होने पर सिर्फ शल्य चिकित्सा ही एक विकल्प होता है। शल्य चिकित्सा के बाद इंसान काफी दिनों तक आराम का जीवन जीने लायक हो जाता है। हालांकि यह ऐसी विचित्र स्थिति होती है जिसमें रोगी को जीवन भर दवाओं का सहारा लेना पड़ता है। इसके अलावा अर्थराइटिस के बहुत से प्रकार होते हैं। यह रोग पैरों सहित हड्डी के किसी भी जोड़ में रोग बना सकने में सक्षम होता है। बढ़ती उम्र या फिर कमजोर होती हड्डियों के ढांचे में इस तरह की जटिलताएं ज्यादा देखी जाती हैं। इस तरह का मर्ज महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा प्रभावित करता है।

    पैर दर्द की एलोपैथी दवा के फायदे

    एलोपैथी ही दुनिया का एक ऐसा साधन है जिसमें ऑपरेशन से लेकर तुरंत राहत और घाव पूजने की सबसे तेज क्षमता होती है। कूल्हे से लेकर पैर के किसी भी जोड़ में सामान्य दर्द के दौरान हमेशा कुछ हल्की पेन किलर जैसे डायक्लोफ़ेनक या फिर ब्रोफेन जैसी दवाओं के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। यदि दर्द किसी हल्की चोट, मोच या फिर खेल के दौरान खिंचाव से हो रहा हो तो इन दवाओं के सेवन के बाद स्वतः समाप्त होने लगता है। इन पेनकिलर्स के साथ ही कुछ दर्द निवारक स्प्रे या क्रीम लगाने की सलाह भी दी जाती है। यदि इसके इस्तेमाल से भी दर्द कम ना हो रहा हो या फिर आराम ना मिल रहा हो तब चिकित्सक कुछ तेज पेनकिलर के साथ एन्टी ऑक्सीडेंट दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं।

    दवाओं से लाभ न मिलने की स्थिति में एक्सरे के साथ एमआरआई और कुछ ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। ब्लड टेस्ट के दौरान यदि यूरिक एसिड की मात्रा का पता चलता है तो गठिया या गाउट के लिए कैल्शियम की खुराक के साथ ही कुछ इंजेक्शन लगाने की सलाह भी दी जाती है। इस तरह से रोगी को करीब 3 से 6 महीने के कोर्स की सलाह दी जाती है। यदि चिकित्सक द्वारा दिये गए निर्धारित समय मे दवाओं के लगातार सेवन के बाद भी मर्ज दूर नही होता तब शल्य चिकित्सा ही रोगी के लिए आखिरी विकल्प बचता है। हालांकि एलोपैथ में शल्य चिकित्सा एक ऐसा माध्यम है जो बेहद ही सामान्य है। शल्य क्रिया के बाद क्षतिग्रस्त ऊतकों को साफ करके रिपेयर कर टांके लगाए जाते हैं। इसके अलावा दुर्घटना के समय हड्डियों के चटकने पर भी प्लास्टर से लड़कर के बार ऑपरेशन कर लोहे की रॉड डालकर पैरों को फिर से जोड़ने का काम किया जाता है।

    पैर दर्द में एलोपैथी दवा संबंधित सुझाव और जटिलताएं

    पैर दर्द की एलोपैथी दवा जितनी जल्द और तेजी से शरीर पर असर करती है उसके उतने बुरे दुष्परिणाम भी होते हैं। लंबी अवधि तक चलने वाली एंटीबायोटिक दवाएं हड्डियों को कमजोर तो करती ही हैं बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहद प्रभावित करती है। इसके अलावा पेन किलर दवाएं आंत में घाव तक का निर्माण कर अल्सर बना देती हैं। ज्यादा मात्रा में एलोपैथिक दवा शरीर में खुजली सहित चमड़ी के भयानक रोग पैदा कर सकती है।

    आंखों की रोशनी कम करने के साथ ही सिर दर्द जैसी समस्याएं जो लंबे समय तक परेशानी का सबब बन सकती है, एलोपैथी दवाएं इसका बड़ा कारक साबित हो सकती हैं। एलोपैथिक दवा से संबंधित सुझाव के लिए जरूरी यह होता है कि जब भी आप ऐसी दवाओं का सेवन करें अपने चिकित्सक की सलाह पर ही करें। कभी भी ऐसी दवाएं खुद से नही लेनी चाहिए। ऐसा करके आप खुद के जीवन को बेहद खतरे के डाल सकते हैं। एलोपैथी दवाओं का रिएक्शन बेहद खतरनाक होता है। इसके होने से जान जाने तक का खतरा बना रहता है। दवाओं की मात्रा और उनके सेवन की सही विधि की जानकारी लेकर इनके दुष्परिणाम को काफी कम किया जा सकता है।

    डॉ नीतू

    • 6 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ नीतू होम्योपैथी चिकित्सा से स्नातक हैं. इनके इलाज से घुटना दर्द के हज़ारों मरीज ठीक हुए हैं. इन्हें इस विधा में 5 साल का अनुभव है. होम्योपैथी को लेकर आम समझ यही है कि यह केवल मामूली बीमारियों के उपचार में ही कारगर है. इसके अलावा होम्योपैथी चिकित्सा के

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