आहार के इन नियमों को अपनाकर दूर भगाया जा सकता है घुटने का दर्द

घुटना दर्द का आहार

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    खान पान या फिर घुटना दर्द का आहार किस तरह से जीवन में सार्थक साबित होता है यह बात हर किसी को शायद ही पता हो! इन बातों पर चर्चा कर लाखों, करोड़ों लोगों को दर्द से निजात दिलाई जा सकती है। अक्सर खान पान की विसंगतियां ही इस तरह की समस्याओं को और भी गंभीर बना देती हैं। सामान्य तरीकों में इस तरह का दर्द गलत बैठने और ज्यादा वजनी समान उठाने के चलते भी हो सकता है।

    कई बार खेल के दौरान या व्यायाम करते हुए हड्डी हड्डी के जोड़ों से जुड़ी मांसपेशियों के खिंचाव की वजह से भी घुटना दर्द हो ही जाता है। सामान्य परिस्थितियों में होने वाला दर्द वैसे तो कुछ सामान्य उपाय के बाद खुद बखुद खत्म होने लगता है लेकिन भागदौड़ की इस दुनिया मे गलत आहार का प्रयोग बेहद नुकसान दायक होता हम अपने दैनिक जीवन मे हल्का सा भी दर्द होने के बाद बाजार में मौजूद आसानी से उपलब्ध होने वाली दवाओं का सेवन करना आरंभ कर देते हैं जो तुरंत राहत पहुंचाने का काम करती हैं। इंसान की यह आदत आगे चलकर भविष्य में उसे बेहद नुकसान पहुंचाती है। दुनिया मे मौजूद नाना प्रकार की उपचार पद्धतियों का इस्तेमाल कर कहां लोग घुटने के दर्द का इलाज करते हैं तो दूसरी तरह हर उपचार विधा का कुछ ना कुछ दुष्परिणाम भी होता है। उपचार की जरूरत ही ना पड़े, या दर्द के शुरुआती लक्षणों के दौरान आहार का सटीक प्रयोग काफी हद तक घुटनों से संबंधित रोगों में बेहद फायदा पहुंचाता है। हड्डियों से संबंधित मर्ज में आहार किस तरह प्रभावी साबित हो सकता है यह जानना बेहद जरूरी है।

    घुटना दर्द संबंधित जटिलताएं

    एक अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य द्वारा किये गए हेल्थ सर्वे के मुताबिक देश का एक बड़ा युवा तबका आहार प्रणाली के दोष से हड्डियों आए संबंधित रोगों से जूझ रहा है। खान पान के दोष या दुर्गुण के चलते यूरिक एसिड की अधिकता इंसान में गठिया या अर्थराइटिस जैसे रोगों की वजह बन जाती है। आहार प्रणाली में दोष होने से निकिल जैसे पदार्थ हड्डियों के जोड़ों में फ्लूड के साथ जमा होकर नर्म ऊतकों में संक्रमण पैदा करने का काम करते हैं। गठिया या फिर अर्थराइटिस की समस्या इंसान में अनुवांशिक भी हो सकती है जो सामान्य से कहीं ज्यादा खतरनाक रूप ले लेती है। दवाओं का प्रयोग तो शरीर पर प्रभाव डालता ही है इसके साथ उचित खान पान के प्रयोग से काफी हद तक घुटना दर्द जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। हमारा उद्देश्य इस लेख के माध्यम से आहारों के ऐसे तकनीकी तरीकों के चुनाव का है जिनके सटीक सेवन से आपको भविष्य में इस तरह की समस्याओं का सामना नही करना पड़ेगा, साथ ही यदि इस तरह की समस्या हो चुकी होगी तब भी काफी राहत का अनुभव कर पाएंगे।

    घुटना दर्द में हरी पत्तेदार सब्जियों के लाभ

    हरी पत्तेदार सब्जियों के लाभ

    घुटना का दर्द आहार में पालक के साथ बथुआ और मेथी जैसी पत्तेदार सब्जियां शरीर मे कैल्शियम की आपूर्ति करती हैं। ऐसी वस्तुएं कैल्शियम के साथ आयरन का अच्छा स्रोत होती हैं। पालक और बथुआ को सब्जी या सलाद के रूप में सेवन करना घुटना दर्द समाप्त कर देता है। मेथी के पत्तों का जूस दिन में दो बार सेवन करने से हड्डियों को नई ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके अलावा हरी गोभी का सेवन हड्डियों के जोड़ों में मौजूद नर्म ऊतकों और फ्लूड की सुरक्षा कर उन्हें मजबूती प्रदान करता है।

    घुटना दर्द में विटामिन सी युक्त आहार के लाभ

    विटामिन सी युक्त आहार के लाभ

    विटामिन सी ऐसा तत्व है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर रोगों से लड़ने की ताकत प्रदान करता है। प्रकृति ने हमें कई ऐसे तत्वों से नवाजा है जो बड़ी आसानी से उपलब्ध होती हैं। इनमें नीबू और आंवला ऐसा प्राकृतिक तत्व है जिसका घुटना दर्द का आहार के रूप में सेवन काफी फायदा पहुंचाता है। इन प्राकृतिक फलों में विटामिन सी की मात्रा प्रचुरता से पाई जाती है। विटामिन सी हड्डियों को मजबूत करने के साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है।

    इसके अलावा नींबू में मौजूद विटामिन सी यूरिक एसिड जैसे तत्वों को पेशाब और पसीने के माध्यम से शरीर से निकलकर हड्डियों में मौजूद फ्लूड की सुरक्षा करता है। शरीर मे मौजूद यूरिक एसिड के चलते हड्डियाँ आपस मे घर्षण करती हैं जिससे मांसपेशियों में मौजूद नर्म ऊतकों के नष्ट होने का खतरा बना रहता है।

    घुटना दर्द का आहार में कैल्शियम युक्त आहार के लाभ

    कैल्शियम युक्त आहार के लाभ

    इंसान के शरीर का पूरा ढांचा आंतरिक तौर पर हड्डियों से निर्मित होता है। हड्डियों की संरचना और विकास कैल्शियम से निर्मित होती है। बढ़ती उम्र या फिर कुपोषण की वजह से हड्डियों के जोड़ प्रभावित होते हैं। घुटने का सीधा संबंध पैरों से होता है। कैल्शियम की कमी से हड्डियों के जोड़ों में गठिया और अर्थराइटिस जैसे रोग पनपते हैं। गाजर का सेवन इस समस्या में काफी लाभ पहुंचता है।

    गाजर एक ऐसा प्राकृतिक तत्व होता है जिसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम सहित आयरन का भंडार होता है। इसे सलाद सहित जूस के रूप में सेवन करना लाभदायक होता है। बदलते मौसम में गाजर के जूस को दिन में 2 बार सेवन करने से शरीर को कैल्शियम प्राप्त होता है। कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए दूध का सेवन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। दूध को अपने आहार में नियमित प्रयोग करने से हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा संतुलित रहती है।

    घुटना दर्द के आहार सम्बन्धित जरूरी सलाह

    डाइटीशियन या फिर चिकित्सक की सलाह पर आहार की मात्रा का सेवन वाकई लाभ पहुंचाने वाला होता है। डाइट एक्सपर्ट मरीज की मौजूदा स्थिति या फिर उम्र के लिहाज से कैलोरी की मात्रा का निर्धारण करते हैं। इसके अलावा खान पान की गुणवत्ता की जांच बेहद जरूरी होती है। आज के दौर में बाजार में कई ऐसे पदार्थ बिक रहे हैं जिनकी गुणवत्ता बेहद दूषित है। दाल, चावल से लेकर सब्जियों और मसालों के अलावा मांसाहारी पदार्थों में मिलावट शरीर पर प्रतिकूल असर डालता है। जब भी किसी खाद्य पदार्थ को खरीदें उसकी गुणवत्ता की जांच जरूर कर लें। चिकित्सक या फिर डाइट एक्सपर्ट की सलाह पर ली गई आहार प्रणाली हड्डियों के रोगों को पास नही फटकने देती।

    डॉ करुणा

    • 10 Years of Experience
    • (BAMS)

    डॉ करुणा आयुर्वेद विधा में स्नातक हैं. आयुर्वेद से उपचार के लिए इन्हें कई मैडल भी मिल चुके हैं. इनके इलाज से गर्दन दर्द के हज़ारों मरीज स्वास्थ्य लाभ उठा चुके हैं. इन्हें इस विधा में 9 साल का अनुभव है. डॉ. करुणा कहती हैं कि आयुर्वेद उपचार प्राचीन काल

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