योग के इन नियमों से पाया जा सकता है गर्दन दर्द से छुटकारा

गर्दन दर्द का योग

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    गर्दन दर्द का योग वाकई एक ऐसा प्राकृतिक इलाज है जिसमें किसी भी तरह की दवा का सेवन नही करना होता। सर्वाइकल पेन या फिर गर्दन की समस्या से परेशान लोग कई तरह के उपचार माध्यमों से इसका इलाज करते हैं। हालांकि हर उपचार माध्यम का किसी ना किसी तरह का दुष्परिणाम हो सकता है लेकिन योग के सटीक प्रयोग से सेहत सुधारी जा सकती है। गर्दन शरीर का ऐसा संवेदन शील हिस्सा होता है जिसपर दिमाग सहित पूरे सिर का भार स्थित होता है। हल्की चोट या मोच के साथ गर्दन में अकड़न आने से सिर को मोड़ने में भी परेशानी का अनुभव होता है। वैसे मर्ज में योग का प्रयोग करना भारत देश के लिए कोई नई बात नही है। सदियों से भारत योग के मामले में विश्व गुरु रहा है। कैल्शियम युक्त प्राकृतिक आहार का सेवन।

    इंसानी हड्डियों की संरचना ही कैल्शियम से निर्मित होती है। बढ़ती उम्र या फिर कुपोषण की वजह से कई बार हड्डियों के जोड़ प्रभावित होने लगते हैं। सर्वाइकल पेन शरीर की ऐसी कष्टकारक स्थिति होती है जो कई बार सामान्य परिस्थितियों के चलते सामने आती है। गर्दन के पीछे स्थित मांसपेशियों में चोट या मोच के दौरान अकड़न और तेज दर्द के चलते कई बार लोग अपनी गर्दन मोड़ तक नही पाते। अक्सर इस स्थिति में लोग चिकित्सक की सलाह पर गर्म पट्टा तक बांधने पर मजबूर हो जाते हैं।

    अनेक उपायों के बाद भी जब इस तरह के दर्द से राहत ना मिले तब योग ही ऐसा रास्ता है जिससे राहत प्राप्त की जा सकती है। इस लेख के माध्यम से योग द्वारा गर्दन दर्द के प्रमुख कारणों सहित योग द्वारा उपचार के कुछ ऐसे तरीकों पर प्रकाश डाला जाएगा जिसके समय पर नियमित प्रयोग से समस्या का समाधान मिल सकता है।

    गर्दन दर्द से संबंधित जटिलताएं

    गर्दन में दर्द या फिर सर्वाइकल पेन एक ऐसी समस्या है जो कई कारणों से बेहद गंभीर हो जाती है। शराब या धूम्रपान के आदी लोगों में इस तरह के दर्द बेहद आम होते हैं। ऐसे इंसानों में यह कई रूपों में मर्ज बनकर फैलता है। तम्बाकू सेवन करने वाले लोगों में टॉन्सिल सहित गले में घाव के चलते दर्द होने की संभावना बढ़ जाती है।

    रीढ़ या फिर उससे जुड़े जोड़ों की हड्डियों में संक्रमण एक बड़ी वजह है जो सर्वाइकल के रूप में सामने आता है। इसके अलावा कुपोषण और शरीर मे कैल्शियम की कमी भी इसका कारण मानी जाती है। फेफड़ों में संक्रमण की स्थिति में भी इस तरह के दर्द सामने आते हैं। अनुवांशिक कारणों सहित हार्मोनल विसंगतियों से होने वाली सर्वाइकल की परेशानियां बेहद जटिल होती हैं। इनकी जटिलताएं ऐसी होती हैं कि मरीज ताउम्र इलाज ही कराता रहता है।

    गर्दन दर्द का योग

    आसन से जहां शरीर को शांति मिलती है वहीं यह सभी दवाओं से होने वाली साइड इफेक्ट के मामले में भी सबसे उत्तम होता है। यह शारीरिक रूप से किया जाने वाला ऐसा प्रयोग है जो पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर करता है। हवा वाली जगह और खुले स्थान पर योग के नीचे दिए तरीकों से गर्दन की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

    गर्दन दर्द योग में नटराज आसन के फायदे

    नटराज आसन

    योग माध्यमों में नटराज आसन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हिंदुओं के देवता भगवान शिव को उनके रूप को दर्शाया गया है। इस आसन से शरीर मे मौजूद हड्डियों के सभी रोग समाप्त होने लगते हैं। गर्दन दर्द का योग के लिए इस आसन को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस योग से गर्दन की समस्या से छुटकारा मिलता है। इस योग से हड्डियों के जोड़ों को कैल्शियम का संचार होता है। इस योग से हड्डियों से जुड़ी मांसपेशियों के नर्म ऊतकों की क्षति भी नही होती। सूर्योदय के समय इस योग को करने से बेहद लाभ मिलता हौ।

    नटराज आसन योग की विधि

    नटराज आसन के लिए फर्श पर या जमीन पर चटाई बिछाकर लेट जाएं। अब अपने बाएं पैर को मोड़ते हुए दाएं हाथ पर ले जाएं और गहरी सांस अंदर खींचें। अब धीरे-धीरे सांस को बाहर करें। अब दाएं पैर को उठाकर बाएं हाथ पर ले जाएं और गर्दन को दायीं तरफ ले जाकर सांस खींचे और धीरे-धीरे बाहर निकालें। ऐसा करीब 4 से 5 बार अमल में लाएं। इस योग को खाली पेट करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। यह योग वैसे तो बेहद सरल होता है जिसे बड़ी आसानी से किया जा सकता है।

    गर्दन दर्द का योग में बाल आसन के लाभ

    बाल आसन के लाभ

    बालासन ऐसा योग है जिससे कंधे ओर गर्दन की मांसपेशियों में रक्त का संचार तेज होता है जिससे हड्डियों को कैल्शियम सहित नई ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके निरंतर और नियमित प्रयोग से गर्दन की मांसपेशियों सहित रीढ़ के प्लेट में मौजूद नर्म ऊतकों में लचीलापन आता है और दर्द भी दूर होने लगता है।

    बाल आसन की विधि

    नित्य क्रिया से निवृत होकर सूर्योदय के समय जमीन या फर्श पर चटाई बिछाकर बैठ जाएं। अब अपनी दोनों पिण्डलियों को एक साथ जोड़ लें। पैरों की दोनों एड़ियों को पीछे की तरफ ले जाकर पंजों के बल बैठ जाएं। हाथों को आगे की तरफ करते हुए कमर को एक दम से झुकते हुए चेहरे को नीचे की तरफ ले जाएं। कोशिश करें कि आपका सिर आगे की तरफ जमीन से छू जाए। इस स्थिति में पैरों पर जांघों सहित पूरे बल कूल्हों पर आ टिकता है। इस प्रक्रिया को करीब 4 से 5 बार अमल में लाएं। ऐसा करने से मांसपेशियों को बल तो मिलता ही है बल्कि गर्दन के दर्द भी दूर होने लगते हैं। यह आसन रोजाना अपनाने से गर्दन संबंधित रोग तो दूर होते ही हैं बल्कि हड्डियों से संबंधित विकार नष्ट हो जाते हैं।

    गर्दन का दर्द योग संबंधित जरूरी सुझाव

    योग वास्तव में एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके प्रयोग से शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं। कुछ परिस्थितियों में चिकित्सक मरीज को पूरी तरह आराम की सलाह देते हैं। आसन या योग, उम्र सहित मौके की जटिलताओं के आधार पर निर्धारित किये जाते हैं। बिना चिकित्सक की सलाह के गर्दन दर्द के दौरान योग करना स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकता है। योग की ऊपर दी गई विधि को प्रयोग से पहले फिजियो की सलाह जरूर लें।

    डॉ वैशाली

    • 7 Years of Experience
    • (Physiotherapist)

    डॉ वैशाली, योगा, व्यायाम जैसे माध्यम से हड्डियों के रोग का इलाज करती हैं. इन्हें इस विधा में करीब 6 साल का अनुभव है. इनके साथ योग, व्यायाम जैसे तरीके सीखकर देश के हज़ारों मरीज स्वास्थ्य लाभ उठाते हैं. पिछले कई सालों में लगभग हर मरीज डॉक्टर वैशाली के बताए

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