कूल्हे का दर्द यूनानी दवा एक ऐसा माध्यम है जो मर्ज को जड़ से समाप्त करने की कूबत रखता है। यह बात दुनिया के कई हेल्थ सर्वेक्षणों में साबित हो चुकी है। हड्डियों Sके संबंधित दर्द के इलाज के लिए जहां लोग भारी मात्रा में आधुनिक उपचार माध्यम के प्रयोग से साइड इफेक्ट का शिकार हो रहे हैं तो, यूनानी उपचार से शरीर पर किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नही होता। वैसे इस तरह के दर्द या रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में बहुतायत से देखी जाती हैं। मेटाबोलिज्म की कमी से जूझने वाली महिलाओं के पैरों के जोड़ रगड़ खाकर हड्डियों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इस दौरान लिगामेंट में सूजन के चलते फ्लूड की कमी हो जाती है। जोड़ों में फ्लूड की कमी से हड्डियां आपस में रगड़ खाकर कमजोर होने लगती हैं।
ऐसी समस्या आकार घुटनों से शुरू होकर कूल्हों तक पहुंच जाती है। उम्र बढ़ने के साथ 40 के आस पास हड्डियों के जोड़ों में गैप आने के चलते घर्षण शुरू हो जाता है। कई परिस्थितियों में कूल्हे की समस्या सामान्य होती है जो इलाज के अभाव में जटिल हो जाती है। कूल्हे के दर्द में यूनानी दवाएं किस तरह उपयोगी होती हैं और इस तरह की मर्ज की क्या जटिलताएं होती हैं इन पर प्रकाश डालेंगे।
कूल्हे दर्द से संबंधित प्रमुख जटिलताएं।
कूल्हे का दर्द सम्बन्धित समस्या महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। घरेलू काम काजी महिलाओं के साथ ही दफ्तर में काम करने वाली महिलाओं में यह समस्या 40 साल बाद देखने को मिलती है। पीरियड के दौरान खून या फिर कैल्शियम की भारी कमी के चलते हड्डियों का कमजोर हो जाना स्वाभाविक होता है। इसके अलावा सामान्य परिस्थिति में लगी चोट का समय से इलाज ना होने के चलते पैरों के जोड़ मौसम के बदलाव के साथ दर्द का शिकार हो जाते हैं। इस तरह गठिया बाई की समस्या उत्पन्न होने लगती है। एलोपैथिक दवाओं के निरंतर प्रयोग से हड्डियों का कमजोर होकर रोग प्रतिरोधक शक्ति में कमी आना भी स्वाभाविक होता है। पुरुषों में इस तरह की समस्या, धूम्रपान या मदिरा सेवन के लती लोगों में देखी जाती है। कई बार अर्थराइटिस की वजह से बीमारी काफी जटिल रूप धारण कर लेती है। इसके अलावा अनुवांशिक कारण इस तरह के मर्ज की सबसे जटिल स्थिति मानी जाती है। इस तरह की समस्याओं के लिए उपचार काफी लंबा चलता है।
कूल्हे का दर्द यूनानी दवा के लाभ।
कूल्हे का दर्द यूनानी दवा वास्तव में हड्डियों के रोगों में काफी असरदार साबित होती है। रोग को जड़ से समाप्त करने में बिना किसी साइड इफेक्ट के इस तरह के उपाय या दवा शरीर पर बेहतर असर करती है। पैर के इस जोड़ में हुई समस्या या दर्द के दौरान यूनानी चिकित्सा में मर्ज के कारण और रोगी की वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। चिकित्सक या हकीम इस बात की पुष्टि के बाद ही दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं कि किस वजह से दर्द हो रहा है। कूल्हे की समस्या में जड़ी बूटियों से तैयार हर्बल पद्धति से शोधित कई प्रकार की तिब्बी दवाओं जिन्हें कई रूपों में माजून भी कहते हैं के सेवन की सलाह दी जाती है।
मेथी दाना या फिर सेब को शोधित करके तैयार यूनानी तरीके से बनाया गया सिरका जोड़ों का दर्द ठीक करने में काफी कारगर साबित होता है। कई बार गठिया बाई के दौरान रोगी के जोड़ों से खराब खून निकाल कर खून शोधन का भी काम किया जाता है। इसके अलावा जल शोधन या अग्निकर्म जैसे उपायों से रोगी का उपचार करने की पद्धति रही है। ऐसी यूनानी पद्धतियां काफी कारगर साबित होती हैं। सबसे खास बात यह है कि यूनानी हकीम दवाओं को ऐसी हर्बल पद्धतियों से तैयार करता है जिसका किसी भी तरह का दुष्परिणाम देखने को नही मिलता। यूनानी हकीम मरीज को दवा देने के साथ कई तरह के परहेज की सलाह भी देते हैं। मरीज को आमतौर पर यूनानी चिकित्सा में आचार या खटाई का सेवन ना करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा अधिक तैलीय भोजन के साथ ही कुछ स्थिति में मांसाहार ना करने की भी सलाह दी जाती है। खान पान में सुधार के साथ नींद पूरी करने की सलाह भी दी जाती है। यूनानी उपचार करीब 3 से चार सप्ताह करने के साथ ही असर दिखने लगता है। इस उपचार पद्धति में सबसे आवश्यक होता है कि दवा के बीच अंतर न किया जाए।
कूल्हे का दर्द यूनानी दवा संबंधित जरूरी सलाह/ सुझाव।
यूनानी एक ऐसी पद्धति है जो हड्डियों से संबंधित रोगों में बेहद असरदार होती है। इस तरह की दवाएं अन्य उपचार माध्यम की दवाओं के साथ बड़ी तेजी के साथ अभिक्रिया करती हैं। इसके अलावा इस तरह की उपचार पद्धति की दवाएं कूल्हे में तेज दर्द के दौरान बेहद असरदार नही होती हैं। दर्द तेज हो और आप यूनानी का प्रयोग कर रहे हों तो बिना चिकित्सक की सलाह के किसी भी स्थिति में एलोपैथी दवा का प्रयोग ना करें। एलोपैथी दवाएं यूनानी के साथ तेजी से अभिक्रिया कर शरीर को बेहद नुकसान पहुंचा सकता है। उसके अलावा कभी भी बिना चिकित्सक की सलाह के यूनानी का सेवन ना करें। इस तरह की दवाओं की मात्रा अच्छे से जानकर ही प्रयोग की जानी चाहिए। कूल्हे के दर्द में कम मात्रा में दवा का सेवन करना भी शरीर पर काम नही करता। दवाओं के सेवन के साथ ही धूम्रपान सहित मदिरा का सेवन त्याग देना चाहिए। भरपूर पानी की मात्रा के साथ कम से कम 8 घण्टे की नींद पूरी कर हड्डियों की सुरक्षा की जा सकती है।