पीठ दर्द को दूर करने में खान पान के ये तरीके वाकई हैं बेहद लाभकारी

पीठ दर्द

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    यह जरूरी नही कि पीठ का दर्द किसी गंभीर बीमारी का ही संकेत देता हो लेकिन कई बार खान पान की विसंगतियां ही इसे गंभीर बना देती हैं। सामान्य परिस्थितियों में इस तरह का दर्द गलत बैठने और पीठ पर ज्यादा वजन उठाने के चलते भी हो सकता है। कई बार खेल के दौरान या व्यायाम करते हुए रीढ़ की हड्डी में स्थित मांसपेशियों के खिंचाव की वजह से भी पीठ का दर्द हो ही जाता है। सामान्य परिस्थितियों में होने वाला दर्द वैसे तो कुछ उपायों के बाद स्वतः समाप्त होने लगता है लेकिन भागदौड़ की इस दुनिया मे गलत आहार प्रणाली बेहद नुकसान पहुंचाती है।

    एक सर्वे के मुताबिक देश का हर चौथा युवा खान पान की विसंगतियों के चलते किडनी स्टोन जैसी समस्या से पीड़ित है। किडनी संक्रमण की एक बड़ी वजह खान पान में आया विकार ही होता है। फेफड़ों में संक्रमण के चलते पीठ दर्द एक प्रमुख कारण माना जाता है। इस तरह की समस्याओं के पीछे इंसान की आहार प्रणाली ज्यादा मायने रखती है। दवाओं का प्रयोग तो शरीर पर प्रभाव डालता ही है लेकिन उचित खान पान के प्रयोग से काफी हद तक पीठ के दर्द जैसी समस्याओं से काफी हद तक बचा जा सकता है। इस लेख के माध्यम से हम ऐसे आहारों के चुनाव के बारे में बताएंगे जिनके सटीक उपचार से दर्द में राहत तो मिलती ही है अपितु इनके सटीक अनुपालन से हड्डियों से संबंधित रोग फटकते भी नही।

    कैल्शियम युक्त प्राकृतिक आहार का सेवन

    कैल्शियम युक्त प्राकृतिक आहार

    इंसानी हड्डियों की संरचना ही कैल्शियम से निर्मित होती है। बढ़ती उम्र या फिर कुपोषण की वजह से कई बार हड्डियों के जोड़ प्रभावित होने लगते हैं। पीठ शरीर का ऐसा भाग होता है जो रीढ़ ओर कमर की हड्डी से तो जुड़ा ही होता है अपितु इसका सीधा संपर्क सीने की हड्डियों से भी होता है। फेफड़ों में संक्रमण के दौरान शरीर मे तेजी से कैल्शियम की कमी होने लगती है। पीठ दर्द के आहार में गाजर का सेवन काफी लाभ पहुंचता है। गाजर एक ऐसा प्राकृतिक तत्व होता है जिसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम सहित आयरन का भंडार होता है। इसे सलाद सहित जूस के रूप में सेवन करना लाभदायक होता है। सर्दियों के मौसम में गाजर के जूस को दिन में 2 बार सेवन करने से दर्द जैसी समस्या से छुटकारा प्राप्त होता है। कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए दूध का सेवन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। नियमित रूप से आहार में दूध की मात्रा को बढ़ाने की जरूरत होती है।

    पीठ दर्द में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन

    हरी पत्तेदार साग सब्जियां

    पालक के साथ बथुआ और मेथी जैसी पत्तेदार सब्जियां शरीर मे कैल्शियम का अच्छा स्रोत होती हैं। पालक ओर बथुआ का साग के रूप में सेवन करना पीठ दर्द को दूर करता है। मेथी के पत्तों का बना जूस दिन में दो बार सेवन करने से हड्डियों को नई ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके अलावा हरी गोभी चाहे पत्तेदार हो या फूलगोभी दोनों का सेवन हड्डियों के जोड़ों में मौजूद नर्म ऊतकों और फ्लूड की सुरक्षा कर उन्हें मजबूती प्रदान करता है। हालांकि यह बात ध्यान देने वाली होती है कि इनका सेवन लगातार करने के बजाय सप्ताह में हर दूसरे दिन किया जाना ज्यादा लाभकारी होता है।

    पीठ दर्द में छोटी मछली का सेवन

    छोटी मछली

    फेफड़ों के संक्रमण के दौरान ट्यूबरक्लोसिस जैसे खतरनाक जीवाणु शरीर को बेहद नुकसान पहुंचाते हैं। फेफड़े सीधे सीने और पीठ की हड्डियों से जुड़े होते हैं। पीठ दर्द में आहार के तहत छोटी मछली का सेवन इस तरह के जीवाणुओं से लड़ने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर साबित होता है। इसमें मौजूद ओमेगा 3 और विटामिन बी हड्डियों को मजबूत कर ऊर्जा का संचार करता है।

    पीठ के दर्द में विटामिन सी युक्त भोजन

    विटामिन सी युक्त भोजन

    नीबू और आंवला ऐसा प्राकृतिक तत्व है जिसका पीठ दर्द में आहार के रूप में सेवन काफी लाभ पहुंचाता है। इन पदार्थों में प्रचुरता से विटामिन सी की मात्रा पाई जाती है। विटामिन सी हड्डियों को मजबूत करने के साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है। फेफड़ों में संक्रमण या किडनी में अवरोध होने की स्थिति में इनका सेवन हर रूप में बेहद असरदार साबित होता है। इसके अलावा नींबू में मौजूद विटामिन सी यूरिक एसिड जैसे तत्वों को पेशाब और पसीने के माध्यम से शरीर से निकलकर हड्डियों में मौजूद फ्लूड की सुरक्षा करता है। शरीर मे मौजूद यूरिक एसिड के चलते हड्डियाँ आपस मे घर्षण करती हैं जिससे ऊतकों के नष्ट होने का खतरा बना रहता है। नीबू का नियमित सेवन हड्डियों के लिए अमृत का काम करता है।

    पीठ दर्द में वसा युक्त भोजन से परहेज

    पीठ दर्द में आहार के लिए गुणकारी खाद्यपदार्थ का सेवन जहां हड्डियों के लिए अमृत का काम करता है तो दूसरी तरफ फैटी आहार जहर के समान होता है। वसा युक्त भोजन शरीर में कई तरह की समस्याओं को जन्म देता है। आहार में ज्यादा तैलीय पदार्थ मोटापा तो बढ़ाते ही हैं बल्कि कोलेस्ट्रोल की मात्रा के जमाने के साथ ही शुरू होता है हड्डियों में परिवर्तन। साउथ इंडियन फ़ूड या जंक फूड की अधिकता की वजह से इंसानी हड्डियों में कई तरह की विकृति उत्पन्न होने लगती है। ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से मोटापा शुरू हो जाता है। मोटापे से हड्डियों में घर्षण शुरू होता है और हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं। जितना भी संभव हो इस तरह की खाद्य सामग्री से परहेज करना चाहिए।

    मिलावटी भोजन से रहें सावधान

    आजकल बाजार में कई ऐसे पदार्थ बिक रहे हैं जिनकी गुणवत्ता बेहद दूषित है। दाल, चावल से लेकर सब्जियों और मसालों के अलावा मांसाहारी पदार्थों में मिलावट शरीर पर प्रतिकूल असर डालता है। जब भी किसी खाद्य पदार्थ को खरीदें उसकी गुणवत्ता की जांच जरूर कर लें। सामग्री बनाने वाली कंपनी के रिव्यु से लेकर एक्सपाइरी डेट तक पर नजर रखकर काफी हद तक शरीर की हड्डियों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है और साथ ही शरीर मे कई तरह की अन्य विसंगतियों से भी सुरक्षा की जा सकती है।

    डॉ आलिया

    • 7 Years of Experience
    • (BUMS)

    डॉ आलिया यूनानी चिकित्सा में स्नातक हैं. इन्हें कंधे के दर्द को ठीक करने में महारत हासिल है. इस विधा में इन्हें करीब 6 साल का अनुभव है. अपने इलाज से डॉ आलिया ने कंधे दर्द जैसे रोगों के लिए देश के हज़ारों मरीजों का सफलता से उपचार किया है.

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