बेतहाशा भागती इंसानी जिंदगी जब अपने खान पान से समझौता कर बैठती है तब कूल्हे में दर्द जैसी समस्याओं के साथ शरीर मे कई अन्य विकृतियों का जन्म होता है। वास्तव में मिलावटी भोजन सामग्री मीठे जहर के समान होती है जो धीरे- धीरे ही सही लेकिन जीवन को असमय काल के गाल में पहुंचा कर ही छोड़ती है। पैरों के सबसे छोर पर स्थित कमर की हड्डियों से जुड़ा हिप पुरानी चोट या फिर आंतरिक हड्डी रोग मसलन गठिया जैसे विकारों के प्रकट होने पर दर्द देता है।
इस तरह का दर्द हो जाने पर इंसान को अपनी जीवनशैली में सुधार के साथ खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में सुधार लाने की जरूरत होती है। खान पान की विकृति से ही खून में बढ़ा यूरिया का स्तर हड्डियों को बेहद कमजोर बना देता है जिसकी वजह से घर्षण उत्पन्न होता है। घर्षण के फलस्वरूप हड्डियों के जोड़ में मौजूद फ्लूड सूखने के खतरा बढ़ जाता है। इस लेख के माध्यम से खान पान के कुछ अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालने की कोशिश है। कूल्हे दर्द का आहार के रूप में कुछ चीजों को अमल में लाकर दर्द जैसी समस्या पर लगाम लगाया जा सकता है।
हरी पत्तेदार साग सब्जियों का सेवन
सर्दियों के मौसम में हड्डी रोग के लक्षण उत्पन्न होना शुरू हो जाते है। इसी मौसम में पालक और बथुआ जैसे साग भारी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। पालक और बथुआ जैसे साग में कैल्शियम और आयरन जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जिनके सेवन से शरीर को कैल्शियम की आपूर्ति तो होती ही है अपितु शरीर मे मौजूद हानिकारक तत्व समाप्त हो जाते हैं। साग के सेवन से आंत में मौजूद कीड़े भी समाप्त हो जाते हैं। इस मौसम में हरी पत्तेदार गोभी का सेवन भी कैल्शियम की भरपूर मात्रा प्रदान करता है। पालक और बथुए को साग के रूप में लेने के अलावा जूस बनाकर सेवन करने से भी कूल्हे के दर्द में राहत मिलती है।
लहसुन का सेवन
लहसुन ऐसा प्राकृतिक पेन किलर है जिसका प्रयोग आयुर्वेद और यूनानी दवाओं के निर्माण में भी किया जाता है। लहसुन की एक कली को छीलकर खाली पेट सेवन करने से वात और पित्त जैसी समस्या दूर हो जाती है। कई परिस्थितियों में वात रोग भी कूल्हे दर्द का कारण बन जाता है। इसके अलावा लहसुन की 5 से 6 कलियों को हल्का कूटकर पानी मे उबालकर सूप की तरह इस्तेमाल करने से हड्डियों में दर्द दूर तो होता ही है बल्कि शरीर में कैल्शियम की आपूर्ति भी होती है। खान पान में लहसुन का सेवन शरीर से यूरिक एसिड जैसे तत्वों को बाहर निकलकर हड्डियों को मजबूत बनाता है।
मौसमी फलों का सेवन कूल्हे के दर्द में लाभदायक
मौसमी फलों का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए क्योंकि इससे हड्डियां मजबूत रहती हैं। इससे कूल्हे मजबूत होते हैं और उनमें दर्द की समस्या से राहत मिलती है।
दूधदूध का भरपूर सेवन दूर भगाए कूल्हे का दर्द
दूध में कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होता है और इसका नियमित रूप से सेवन करने पर शरीर में चुस्ती बनी रहती है।
जंक फ़ूड जैसे आहार से बनाएं दूरी
खानपान और जीवनशैली में बदलाव के कारण लोगों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक सर्वे के मुताबिक शहरों में निवास करने वाली आबादी का करीब 30 फीसदी तबका ऐसी आदतों के चलते कूल्हे दर्द जैसी समस्या से दो चार हो रहा है। इन आदतों की वजह से अनेक रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जितना भी हो सके जंक और स्ट्रीट फूड से परहेज करें।
अंडों और लाल मीट का सेवन
मुर्गी के अंडों में प्रचुरता से कैल्शियम मौजूद होता है। नियमित अंडे का सेवन करने से हड्डियों का विकास होता है और ऊतकों की क्षतिपूर्ति होती रहती है। लाल मीट ऊर्जा के साथ ही विटामिन डी का बड़ा स्रोत माना जाता है। इसके सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती है और कूल्हे में दर्द जैसी समस्याओं से निजात मिलती है। मांसाहारी भोजन करने से पहले जितना संभव हो उसकी गुणवत्ता की जांच जरूर कर लें।
तैलीय भोजन से करें परहेज
वैसे सीमित मात्रा में तैलीय भोजन शरीर के विकास के लिए बेहद आवश्यक होता है लेकिन हद से ज्यादा इसका सेवन हड्डियों सहित कूल्हे में दर्द की वजह बन जाता है। वसा युक्त भोजन शरीर के मोटापे का कारण बनता है जिससे हड्डियों में घर्षण उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है। ज्यादा तली भुनी चीजें शरीर मे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ा देती है जिसके चलते कूल्हे के नर्म ऊतकों को भारी क्षति पहुंचती है। शुद्ध सरसों के तेल के सिवा किसी भी तरह के तेल को भोजन में शामिल करने से बचें।
खट्टे पदार्थों के सेवन से रहें दूर
नीबू पानी और आंवले का सेवन जहां हड्डियों के पोषण का काम करता है तो दूसरी तरफ अचार, इमली और खटाई जैसे आहार कूल्हे के दर्द का कारण बन जाते हैं। जितना भी संभव हो ऐसे खाद्य पदार्थों से दूरी बनाए रखें क्योंकि इनके सेवन से हड्डियों के जोड़ों में मौजूद फ्लूड को भारी क्षति पहुंचती है।
कूल्हे दर्द की समस्या हो या हड्डियों संबंधित रोग, खान पान में विकृति ही इसके सबसे बड़े कारक होते हैं। अपने व्यस्त समय से थोड़ा सा समय निकालकर अपनी जीवनशैली में निरंतरता और आहार में सुधार अपनाने से काफी हद तक कूल्हे के दर्द से निजात मिल सकती है। बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों की सुरक्षा बेहतर आहारों के चुनाव द्वारा बेहतर ढंग से की जा सकती है।