एलोपैथिक चिकित्सा से कुछ इस तरीक़े से किया जा सकता है उंगली दर्द का उपचार

उंगली दर्द

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    दुनिया की एक मात्र फौरी राहत देने वाली दवा जिसे हम एलोपैथी के नाम से भी जानते हैं उंगली दर्द में उसका असर व्यापक होता है। दुनिया के साध्य से लेकर असाध्य रोगों तक मे इस पद्धति से ही उपचार किया जाता है। यह बात गलत नही है कि हर मर्ज का आखिरी इलाज एलोपैथी चिकित्सा में ही निहित होता है। वैसे हाथों की उंगलियों में शरीर से जुड़े कई राज दफन रहते हैं। मसलन तर्जनी उंगली के सामने दिखाते ही एक विशेष सब्जी का पौधा कुम्हला जाता है। इसका सीधा संबंध इंसान की आत्मा और भावनाओं से जुड़ा होता है। यदि इलाज से पहले कारणों की बात करें तो उंगली से संबंधित कई जटिलताएं इंसान को प्रभावित करती हैं।

    आधुनिक युग मे लगातार स्मार्ट फोन के बढ़ते चलन ने भी उँगली से संबंधित दर्द बढ़ाने का काम किया है। इंसान लगातार स्मार्ट फोन का प्रयोग करता है जिससे उंगलियों की नसों या मांसपेशियों में उचित रक्त संचार नही पहुंच पाता। इससे उँगली में सुन्नता सहित कई बार दर्द शुरू हो जाता है। उंगलियों से काम करने वाले मकैनिक या फिर लेखक केबार इस तरह की समस्याओं से दो चार हो जाते हैं। इस तरह की समस्या के लिए कुछ लोग तुरंत फौरी राहत देने वाली पेनकिलर दवाओं का इस्तेमाल करते हैं वह भी बिना चिकित्सक की सलाह के। इंसान की यही खराब आदत दावा के साइड इफेक्ट का कारण बनती है और शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करती है। इस लेख के माध्यम से उंगली के विकारों में एलोपैथ की महत्ता पर प्रकाश डालने की कोशिश की गई है।

    एलोपैथिक दवा और उंगली दर्द में उसके फायदे

    एलोपैथिक दवा और उंगली दर्द में उसके फायदे

    उंगली के जोड़ कमोवेश शरीर के सबसे मुलायम जोड़ों में एक होते हैं। यह शरीर का ऐसा भाग होता है जिसका प्रयोग हमेशा होता है। हाथों की उंगलियों से लेकर पैरों तक कि उंगलियों से उठने चलने दौड़ने आदि में इस्तेमाल में लाया जाता है। फेफड़ों के संक्रमण से उत्पन्न रोग हो या हृदय की बीमारी जुड़ी समस्या, आम समस्या हो या फिर मोटापे और हार्मोनल विसंगतियों से उत्पन्न हुआ उंगली दर्द हो, हर मामलों में आधुनिक दवा के इस माध्यम से सटीक और लंबे समय तक चलने वाला उपचार किया जा सकता है। खून की कमी या कैल्शियम के अभाव से हड्डियों में होने वाले रोगों में तुरंत इंजेक्शन द्वारा शरीर को जरूरी प्रोटीन और विटामिन्स मुहैया कराई जाती हैं। दर्द के समय गर्म पट्टी बांधने से लेकर जरूरत पड़ने पर शल्य चिकित्सा का एकमात्र साधन भी एलोपैथी में ही निहित होता है। यह ही दुनिया की एकमात्र सर्वमान्य चिकित्सा पद्धति है जिसमें ऑपरेशन द्वारा मरीजों को ठीक किया जाता है। उंगली में कई बार संक्रमण की स्थिति में उसमें मौजूद हड्डियों के नर्म ऊतकों में सड़न आ जाती है। इस स्थिति में मरीज की उँगली का हिस्सा शरीर से अलग कर संक्रमण बढ़ने से रोका जाता है। पेन किलर से लेकर एंटीबायोटिक दवाओं के नियमित इस्तेमाल से मरीज को आराम मिलता है। एलोपैथिक एक ऐसी चिकित्सा व्यवस्था है जिसके नियमित इस्तेमाल से कई असाध्य रोगों में भी काफी लंबे वक्त तक लंबा जीवन जिया जा सकता है। एलोपैथी उपचार से उंगलियों में होने वाले गठिया रोग की वजह से दर्द को भी भगाया जा सकता है। हालांकि मरीज की उम्र सहित मौके पर उसके रोग की वास्तविक स्थिति क्या है इसकी जांच के बाद ही चिकित्सक दवाएं देता है। एलोपैथी चिकित्सा में आधुनिक प्रणाली द्वारा जांच की सुविधा आसान है। उंगली की समस्या में कई बार एक्सरे सहित कुछ खून के नमूने प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं और उनके आधार पर आई रिपोर्ट चिकित्सा की स्थिति तय करती है। कई बार चिकित्सक मर्ज का पता लगाने के लिए एमआरआई की सलाह भी देते हैं जिनसे रोग की वास्तविक स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाकर इलाज किया जा सके।

    उंगली दर्द में एलोपैथी के दुष्परिणाम और जटिलताएं

    उंगली दर्द में एलोपैथी दवा हो या फिर किसी अन्य इलाज में कई गई इस माध्यम की चिकित्सा, इसके लाभ तो बहुत हैं लेकिन नुकसान भी होते हैं। मॉडर्न तकनीक पर विकसित इस उपचार विधा का इस्तेमाल जहां पूरी दुनिया मे हो रहा है तो दूसरी तरफ इसके दुष्परिणाम बेहद गंभीर होते हैं। एक सर्वे के मुताबिक हर साल हजारों लोग दवाओं के दुष्प्रभाव से खतरनाक बीमारियों की जद में आकर जान गंवा लेते हैं। हालांकि यह स्थिति तब ज्यादा भयावह हो जाती है जब बिना चिकित्सक की सलाह लिए ही मरीज फौरी राहत इन वाली पेनकिलर दवाओं का इस्तेमाल करने लगता है। खाली पेट किसी भी पेनकिलर दवा का इस्तेमाल आंतो में घाव तक बना देता है। वैसे तो इस तरह की चिकित्सा सेवा का असर बेहद व्यापक है यदि इसका प्रयोग प्रॉपर जांच के बाद इस्तेमाल में लाया जाए। कई बार एक ही दवा के रोगों के इस्तेमाल के लिए मरीजों को दी जाती है जिसका दुष्परिणाम साइड इफेक्ट के रूप में सामने आता है। अन्य दवाओं के इतर इस दवा पद्धति में रिएक्शन से जान जाने का भी खतरा बना रहता है। इस चिकित्सा पद्धति में ओवर डोज़ दवाओं से दुनिया भर में हजारों लोग असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। जब भी दवाओं का इस्तेमाल करें चिकित्सक की सलाह पर ही करें। बिना चिकित्सक की सलाह के एलोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल जीवन के लिए घातक हो सकता है। जब भी उंगली दर्द में इसका इस्तेमाल करें तब मात्रा और खुराक के बारे में अच्छे से जानकारी कर लें। सही जानकारी आपके जीवन को खतरे से बचा सकती है।

    डॉ विवेक

    • 9 Years of Experience
    • (BHMS)

    डॉ विवेक को होम्योपैथी में स्नातक हैं. इनकी चिकित्सा से देश के हज़ारों मरीज गठिया रोग से निजात पा चुके हैं. डॉ विवेक को इस क्षेत्र में 8 साल का अनुभव है. डॉ विवेक का कहना है कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति समरूपता के सिद्धांत (like cures like) पर काम करती

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